स्वस्थ्य समाज की संकल्पना में गर्भवती माताओं और गर्भस्थ शिशु की देखभाल तथा उनके साथ होने वाली सकारात्मक गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है | चिकित्सा विज्ञान से यह अभिप्रमाणित है कि गर्भस्थ शिशु की चैतनता निरंतर रहती है | गर्भस्थ शिशु माता के माध्यम से अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थिति से प्रभावित होता है | गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण से गर्भवती माता तथा शिशु के सुपोषण, संस्कार एवं सकारात्मक गतिविधियों के माध्यम से स्वस्थ तथा संस्कारी शिशु की परिकल्पना की जा सकती है |
चूंकि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय संगीत तथा ललित कला को समर्पित विश्वविद्यालय है | अतः उपर्युक्त संदर्भ में माननीया कुलाधिपति महोदया के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में संचालित होने वाले विषय मुख्यतः संगीत का गर्भवती माताओं एवं गर्भस्थ शिशुओं पर होने वाले प्रभाव पर योजना तैयार की गई है | विश्वविद्यालय, में गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य, सुपोषण तथा गर्भावस्था के दौरान महिलाओ पर शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, लोकसंगीत, चित्रकला एवं योग आदि को देखने, सुनने, सीखने तथा नियमित अभ्यास से होने वाली प्रतिक्रिया पर कार्य किया जा रहा है | इसे शासन द्वारा संचालित आंगनबाड़ी के माध्यम से गर्भवती महिलाओ के कल्याण एवं लोकहितकारी योजनाओ के साथ संचालित करने का विचार किया गया |
विश्वविद्यालय द्वारा संचालित इस महत्वकांक्षी परियोजना के विधिवत संचालन हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग के चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम ऑफिसर के साथ में सामंजस्य किया गया | विभिन्न वार्डों के आंगनबाड़ियो द्वारा इस कार्य योजना पर सहमती व्यक्त की गई | विशेष परिस्थिति के अतिरिक्त दोपहर 02 से 03 बजे तक गर्भवती माताओं की नियमित उपस्थिति विश्वविद्यालय में हो रही है | इनके लिए एक पृथक कक्ष की व्यवस्था की गई है | जिसमे गर्भस्थ शिशु के विकास से सम्बंधित चित्र, मूर्तिया इत्यादि प्रदर्शित किया गया है | जिसमे माताओं को इससे सम्बंधित जानकारी सहजता से मिलती रहे | विश्वविद्यालय में संचालित होने वाले संगीत एवं अन्य ललित कलाओ की जानकारी इन्हें दी गई | साथ ही साथ विश्वविद्यालय का भ्रमण कराया गया |
गायन से इनका प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ | प्रथमतः इनमे संकोच दृष्टिगोचर होता था | किन्तु शैनेः शैनेः ये संगीत प्रशिक्षण से जुडती गई | भजन, लोकगीत तथा लोरी आदि के बाद शास्त्रीय गायन का प्रारंभिक चरण जिसमे सरगम के माध्यम से स्वर ज्ञान कराया जा रहा है | समय समय पर स्थानीय चिकित्सकालय से संपर्क कर इनका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाता है | इन्हें महेंदी, क्राफ्ट आदि का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है | इन्हें विभिन्न मन्त्रों का उच्चारण तथा लेखन का कार्य भी कराया जाता है | प्रशिक्षण के दौरान इन्हें प्रतिदिन स्वास्थ्यवर्धक स्वल्पाहार भी कराया जाता है | इस परियोजना से विश्वविद्यालय शिक्षा और सामाजिक दायित्व का सुखद सामंजस्य स्पष्ट देखा जा सकता है | परियोजना की प्रभारी प्रो. मृदुला शुक्ल, विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग हैं | प्रशिक्षण, गायन विभाग के शिक्षकों के निर्देशन में छात्राओं द्वारा दिया जाता है | योग प्रशिक्षक द्वारा गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य के अनुकूल योग ध्यान का प्रशिक्षण भी दिया जाता है |
> >दिनांक 03 जनवरी 2019 को माननीया कुलाधिपति महोदया का विश्वविद्यालय में आगमन हुआ | माननीया कुलाधिपति महोदया द्वारा गर्भवती माताओं से उनके स्वास्थ्य तथा इस परियोजना से जुडी विभिन्न क्रियाकलापों के सम्बन्ध में जानकारी ली गई | तदनुसार कुलाधिपति महोदया द्वारा सुझाव भी दिये गये |
उक्त परियोजना से गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य पर गुणात्मक अनुकूल प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है | इनमे आत्मविश्वास बढ़ा है तथा विश्वविद्यालय में गर्भवती माताओं का आपसी चर्चा तथा साथ में उत्साह एवं उमंग देखने को मिलता है |